तपणी धाम के उत्तर दिशा में भव्य देवालयों का स्थान है। यहां कुछ छतरियों के साथ पूर्व दिशा की ओर मुख किए हुए 3 बड़े देवल बने हुए हैं। इनमें तपणी धाम के अवशेष पुष्प युत चरण पादुका प्रतिस्थापित है। तीन देवालयों में से दक्षिण की ओर बना पहला देवल प्रथम आचार्य चरण श्री 1008 श्री राम दास जी महाराज का है। इसका निर्माण श्री दयाल दास जी महाराज ने विक्रम संवत १८५५ - ५६ में कराया था। इसी के भीतरी दीवारों पर बने चित्र समय के अनुसार अब स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं पड़ते हैं परंतु संतो के वचन अनुसार इन चित्रों की कारीगरी बहुत ही बारीकी से की गई थी। इन देवालयों की श्रेणी में उत्तर की तरफ बना तीसरा देवल यहां के तृतीय आचार्य श्री 1008 श्री पूरण दास जी महाराज ने निर्माण कराया है। इसमें बने चित्र काफी स्पष्ट है। इन चित्रों में भगवान के 24 अवतारों के, कबीर जी के, नरसी मेहता, मीरा, शबरी, कर्मा बाई, नाभा जी, आदि भक्तों के, राम रावण युद्ध के तथा श्री दयाल दास जी महाराज की राम सभा के चित्र अंकित है। इस देवल में श्री दयाल दास जी महाराज के स्वरूप का एक विशेष चित्र भी है। वयोवृद्ध संत जन इस चित्र को श्री दयाल दास जी महाराज के स्वरूप से विशेष मिलता मानते हैं। इन्हीं दोनों देवालयो के बीच में बने चौथे आचार्य श्री अर्जुन दास जी महाराज का देवल है। इसका निर्माण विक्रम संवत १९५० -५१ मैं श्री हरलाल दास जी महाराज ने कराया है। इसमें जो चित्र बने हैं वह आज भी अत्यंत स्पष्ट सजीव व प्रामाणिक है। अगर हम विशेष प्रकाश डालें तो यह चित्र इतनी बारीकी के साथ बनाए गए हैं जिनमें पात्रों के एक-एक बाल स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। गुंबद में बनी महा रास मंडल की चित्रावली अत्यंत ही मनमोहक है। इस देवल में दक्षिण दीवार पर श्री राम दास जी महाराज व उनकी राम सभा व अर्जुन दास जी महाराज व उनकी राम सभा के साथ भक्तमाल के विभिन्न भक्तों के चित्र विद्यमान है। इससे दूसरी और उत्तरी दीवार पर श्री दयाल दास जी महाराज व उनकी राम सभा श्री पूरणदास जी महाराज व उनकी राम सभा के साथ भगवान के 24 अवतारों का सुंदर व आकर्षक चित्रण मन मोहता रहता है। इसके पूर्व दीवार पर दरवाजे के ऊपर चित्र में श्री दयाल दास जी महाराज की माता श्री सुंदर माजी, श्री पूरणदास जी महाराज की गुरु माता श्री यशोदा माजी तथा श्री अर्जुन दास जी की माता श्री लक्ष्मी माजी के दर्शन है। इनके पास में ही उत्तर दिशा की और राम दरबार का विशिष्ट मनमोहक व दुर्लभ चित्र विद्यमान है जिसमें की राम दरबार के साथ लव कुश व जामवंत जी का भी चित्र है जो कि अन्य कहीं भी देखने में नहीं आता है। इस तरह इस सुनहरी छतरी वाले देवल की दर्शनीय छवि तो देखते ही बनती है। इस देवालय में इन तीन देवालयों के अलावा शेष आचार्य एवं आचार्यों की माताओं की कलाकृति पूर्ण सुंदर छतरियां विभिन्न स्थानों पर विद्यमान है। इन सब के अतिरिक्त यहां पर कई प्रकार से समय अनुसार आचार्य चरण द्वारा हस्तलिखित अनेक राम नाम युक्त स्मृति स्तंभ भी विद्यमान है। इन आचार्य देवालयों में प्रतिदिन संध्याकाल में आरती गायन, स्तुति गायन, वंदन व नौबत नगारा-वादन नियमित रूप से हुआ करते हैं।