About Acharya


श्री श्री १००८ श्री रामदास जी महाराज (प्रथम आचार्य)

विक्रम सम्वत १७९३ to विक्रम सम्वत १९५५



वि.सं.  १३ फाल्गुन कृष्ण १३ के दिन ग्राम बीकमकोर (जिला - जोधपुर) में आपका जन्म हुआ।  एक सामान्य कृषक मेघ परिवार के अणभिजी व शादुलजी आप के माता - पिता थे।  भजन उपदेश में लगे अपने पिताजी की शिक्षानुसाद आप भी प्रारम्भिक पच्चीस वर्ष तक पंचपीरोपासना में लगे रहे।  किन्तु इससे आपको आत्म - शान्ति नहीं मिल सकी।  एक दिन बासनी ग्राम में यमदूत दर्शन की विशेष घटना से प्रेरित हो आपने नामतत्व की विशेष खोज प्रारम्भ कर दी।  इस नई खोज में लगे हुए श्री रामदास जी महाराज को सीथल ग्राम (जिला - बीकानेर) में श्री हरिरामदासजी महाराज का साक्षात्कार हुआ।  आप ने विक्रम सम्वत १८०६ वैसाख सु  ११ के दिन दीक्षा लेकर सविधि  राममंत्र का जाप चालू कर दिया। इस से आप को परम शान्ति की अनुभूति हुई। आपने लगभग ६ वर्ष तक ग्राम मैलाणा में व ६ वर्ष तक ग्राम आसोप (जिला - जोधपुर) नामजप करते हुए वि  सं १८२०  के कार्तिक मास में साधन की पूर्णता (ब्रह्मस्वरूपता) प्राप्त कर ली। 

रामदास बीसो वर्ष, ता में काती मास। 

ता दिन छाडी त्रुग्गटी , किया ब्रह्म में वास।। 

तत्कालीन खेड़ापा  के ठाकुर साहब के विशेष आग्रह से आप ने  विक्रम सम्वत १८२२ के बाद  सदा  के लिए इसी ग्राम (खेड़ापा) में निवास कर लिया। आप लगभग १२ वर्ष तक ग्राम में स्थित स्थान (जिसे अब जूनी जागा कहते हैं) में रहे। आपने सिंहस्थल  पीठाचार्य श्री हरिराम दस जी  महाराज की आज्ञा से वि सं 1834  फाल्गुन कृष्ण ४ के दिन वर्तमान रामधाम का निर्माण कराया। अनन्त शिष्यों को व भक्तों को अपनी अमृतमय वाणी के द्वारा उद्वोधन प्रदान करते हुए आप वि सं १८५५ आषाढ़ कृष्णा ७ के दिन ब्रह्मलीन हो गए। 

आप की अनुभव वाणी लगभग ४५००  श्लोको में  परिमित है। यह वाणी "श्री रामदासजी महाराज की अनुभववाणी" के नाम से प्रकाशित है। आप का विशेष विस्तृत परिचय उक्तवाणी  की भूमिका, आचार्य चरितामृत, परची, जनप्रभाव  परची आदि में उपलब्ध है।  इस कारण यहाँ संक्षेप में दिया है।


सतगुरु सेती वीनती , परब्रह्म सू परणाम ।
अंनत कोटि सन्त रामदास , निशदिन करूँ सलाम ।।


Subscribe For News Letter