- आपका जन्म वि.सं. १६०१ के समय तोडियाणा ग्राम में किसान परिवार की माता सूजाबाई के उदर से हुआ। सन्तों के प्रति सद्भावना व सत्संग में विशेष रूचि होने के कारण सूजाबाई अपने बच्चे को सन्तों को समर्पित करने खेड़ापा आई। ५ वर्ष की अवस्था में ही अपने लड़के को गुरुचरणों में समर्पित कर स्वयं भी स्थान की सेवा, सुमिरण और सत्संग के लिए खेड़ापा (रामधाम) में रह गए। बाल्यकाल में ही शिक्षा व दीक्षा के बाद आप की योग्यता देख श्री अर्जुनदासजी महाराज ने वि.सं. १९२६ के होलिकोत्सव पर उन्हें अपना उत्तराधिकारी बना दिया जाता है। गुरु महाराज के परमधाम पधारने के बाद वि.सं. १९५० के वैशाख मास में यहाँ के आचार्य बने। आपकी साधना, समाज सेवा और उदारता प्रशंसनीय थी। १८ वर्ष की आचार्य पद से समाज सेवा के बाद आप वि.सं. १९९८ पोष कृ० ७ के दिन परमधाम पधार गए। आपकी भी संक्षिप्त वाणी है; जो अभी प्रकाशित है।