-वि.सं. १९१६ अषाढ़ शु० ४ के दिन घाड़ गांव (जिला बून्दी) में आपका जन्म हुआ। आप के पिताजी का नाम ठाकुर भूरसिंहजी था। खेड़ापा के चतुर्थ आचार्य श्री की रामत के समय बून्दी की सत्संग से प्रभावित हो ये महाराज श्री की सेवा में आ गए। इनकी सच्ची जिज्ञासा देखकर श्री अर्जुनदासजी महाराज की आज्ञा से अधिकारी श्री हरलालदासजी महाराज ने उन्हें दीक्षा प्रदान की। इस प्रकार आप लगभग २२ वर्ष की अवस्था के समय संसार के मायाजाल से छुटकारा पाने के बाद में सन्तों की सेवा में खेड़ापा आ गए। यहां पहले तो खूब नाम साधना की फिर गुरु आज्ञानुसार सन्त व समाज सेवा में लग गए।
वि.सं. १९६८ पौ० शु० ८ के दिन आप आचार्य पीठासीन हुए। आपने शरण आए कई लोगों को परम तत्व की प्राप्ति का मार्ग बताया। सत्संग के द्वारा श्री आचार्य वाणी व दयालु वाणी को जन मानस में पहुँचते हुए बहुत ही प्रचार - प्रसार कर अपने सम्प्रदाय का गौरव बढ़ाया। आप वि.सं. १९८२ भाद्रपद क्र० ४ के दिन परमधाम पधारे।